हमसे करते रहे दिल्लगी रात भर नींद भी, ख़्वाब भी, आप भी रात भर रात भर बादलों ने उड़ाई हँसी छटपटाती रही इक नदी रात भर ऐसा लगता है मौसम का रुख़ देखकर बर्फ़ शायद कहीं पर गिरी रात भर फूल बनते ही कल जो बिखर जाएगी याद आती रही वो कली … Continue reading हमसे करते रहे दिल्लगी रात भर
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